साल 2014 से पहले की अगर बात की जाए तो भारत में सिर्फ क्रिकेट ने ही मुकाम हासिल किया था. लेकिन 2014 में जब प्रो कबड्डी लीग की शुरुआत हुई तो किसी ने सोचा नहीं था की 9 साल के अपने इतिहास में देश में कबड्डी इतनी पॉपुलर हो जाएगी. अपने 9 साल के छोटे से समय में ही प्रो कबड्डी ने आज नई ऊंचाइयों को हासिल कर लिया है. साथ ही प्रो कबड्डी लीग में करियर बनाने वाले खिलाड़ियों को भी रातों रात ही करोड़पति बनने का सपना भी पूरा होने लगा है. प्रो कबड्डी लीग के 9वें संस्करण में पवन सहरावत 2 करोड़ 26 लाख में बिकने के साथ ही एक नया इतिहास काम कर दिया था.
2014 में सबसे बड़ी बोली लगी थी 12 लाख 8 हजार रुपये की
साल 2014 में प्रो कबड्डी लीग की अगर बात की जाए तो पहले सीजन में कुल 8 टीमों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. उस समय पटना पाइरेट्स ने राकेश कुमार को 12 लाख 8 हजार रुपये में सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में खरीदा था. हालांकि पहले सीजन में वॉलेट मनी भी काफी कम होने के चलते खिलाड़ियों की महंगी बोली नहीं लगी थी.
सीजन 9 में पवन सहरावत बिके सबसे महंगे
प्रो कबड्डी लीग सीजन 9 की अगर बात की जाए तो प्रतियोगिता से पहले हुए ऑक्शन में 190 से ज्यादा कबड्डी खिलाड़ियों को खरीदने के लिए करीब 48 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च की. इसमें से तमिल थलाइवाज ने पवन सहरावत को 2 करोड़ 26 लाख रुपये में खरीदा. तो वहीं विकास कंडोला को बैेंगलुरु बुल्क ने 1 करोड़ 90 लाख रुपये. फजल अत्रांचली को पुणेरी पल्टन ने 1 करोड़ 38 लाख रुपये. गुमान सिंह को यू मुम्बा ने 1 करोड़ 21 लाख रुपये और प्रदीप नरवाल को गुजरात जाइंट्स ने 90 लाख रुपये और सुनील कुमार को जयपुर पिंक पैंथर्स ने 90 लाख रुपये में खरीदा, इसके साथ ही प्रो कबड्डी लीग में पहली बार किसी खिलाड़ी की बोली 2 करोड़ रुपये से ज्यादा में बिके.