20 नवम्बर 1983 को गुड़गांव के एक छोटे से गांव पलारा में हुआ. पिता रण सिंह यादव भारतीय सेना में पूर्व सुभद्रा मेजर थे. घर में बेटे के जन्म पर परिवार ने बड़े ही प्यार से नाम दिया अनूप कुमार. पिता के भारतीय सेना में होने की वजह से अनूप भी बचपन से ही भारतीय सेना में जाने का सपना देखते थे. अनूप कुमार बचपन से कबड्डी खेलते थे. लेकिन इस खेल को कभी उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया. बचपन में अनूप कुमार सिर्फ मनोरंजन के लिए खेला करते थे. लेकिन ये किसी को पता नहीं था की एक दिन ये बच्चा कबड्डी के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरेगा.
प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद सीआरपीएफ में हुए शामिल
साल 2005 में अनूप कुमार ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की. और प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के साथ ही अनूप कुमार ने सीआरपीएफ ज्वाइन कर ली. तब उनके मन में कबड्डी को खेलने की भावना ने घर किया. सीआरपीएफ कबड्डी टीम के कोच अमर सिंह यादव ने कुमार की प्रतिभा को पहचाना साथ ही कुमार के कबड्डी खेल से भी काफी प्रभावित हुए. और उसी समय से कुमार का जीवन बदल गया.
अनूप कुमार ने 2010 में की अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत
2005 में सीआरपीएफ ज्वाइन करने के बाद कबड्डी को अनूप कुमार ने गंभीरता से लिया. और साल 2006 में श्रीलंका में आयोजित दक्षिण एशियाई खेलों में पहला बड़ा मैच खेला. इसके बाद साल 2010 में अनूप कुमार ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की. एशियाई खेलों में अपने अंतरराष्ट्रीय खेलों का आगाज अनूप कुमार ने गोल्ड मेडल से किया. अनूप कुमार ने 2010 और 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता. इसके साथ ही साल 2016 में अनूप कुमार के नेतृत्व में भारतीय टीम को वर्ल्ड कप विजेता भी बनाया. अनूप कुमार ने प्रो कबड्डी लीग के 5 सीजन खेले जिसमें दूसरे सीजन में अनूप कुमार ने यू मुंबा को खिताब भी जिताया.
19 दिसम्बर 2018 में कबड्डी को कहा अलविदा
भारत के सर्वश्रेष्ठ कबड्डी खिलाड़ियों में से एक अनूप कुमार ने जहां 2010 में अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की तो वहीं 19 दिसम्बर 2018 को अपने 8 साल के कबड्डी करियर को अलविदा कहा. अनूप कुमार ने 19 दिसम्बर 2018 को आखिरी बार जयपुर पिंक पैंथर्स की ओर से खेलते हुए संन्यास लेने की घोषणा की.